याद तुम्हारी आती है।
जब बोले आंखों का काजल,
छनके जब पांवो में पायल,
कू है जब बाग में कोयल,
जब चटके उपवन में कोपल,
याद तुम्हारी तब आती है।।
तुम साकी बाला बच्चन की,
तुम मधुशाला हो जीवन की,
इच्छाओ का महके दलदल,
सीने में होती है हलचल,
याद तुम्हारी तब आती है।।
जब तन्हा होता हर इक पल,
जब दिल कहता मधुशाला चल,
जिस को पाकर महकी सांसें
जो महके जिस्मों का संदल,
याद तुम्हारी तब आती है।।
लाचारी के गीत न लिखता,
दिल चाहत की रीत न लिखता,
सूनी सूनी प्रीत न लिखता,
जब छाते है नभ पर बादल,
जब खिलता है बीहड़ जंगल,
याद तुम्हारी तब आती है।
ये शोखी ये चंचल चितवन,
जैसे फूलो का अल्हड़पन,
बढ़ जाती जब दिल की धड़कन,
राह दिखाता है जब अफ़ज़ल
याद तुम्हारी तब आती है।
Gopal Gupta" Gopal "
Milind salve
19-Apr-2023 09:51 AM
बेहतरीन
Reply
अदिति झा
18-Apr-2023 08:26 PM
Nice 👍🏼
Reply
Sant kumar sarthi
18-Apr-2023 05:12 PM
बहुत खूब
Reply